शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

हरिद्वार से होकर क्या मिलेगा सत्ता का द्वार, उत्तराखंड की राजनीति में हरिद्वार क्यों है खास

 

हरिद्वार से होकर क्या मिलेगा सत्ता का द्वार, उत्तराखंड की राजनीति में हरिद्वार क्यों है खास


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। देहरादून












देहरादून। उत्तराखंड में चुनावी वर्ष में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। सत्ता तक पहुंचने के लिए हर समीकरणों को साधने में जुटे हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जब भी उत्तराखंड आता है तो साधु संतों का आशीर्वाद लेने हरिद्वार जरुर पहुंचते हैं। इसी तरह कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस हरिद्वार में परिवर्तन यात्रा निकाल चुकी है। और पूर्व सीएम हरीश रावत हरिद्वार पर ज्यादा फोकस रखते हैं। अब बारी आम आदमी पार्टी की है। आम आदमी पार्टी को भी इस बात का एहसास है कि हरिद्वार से ही उत्तराखंड की सत्ता का रास्ता पार हो सकता है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 21 नवंबर को हरिद्वार पहुंच रहे हैं। जिसमें वे बड़ी घोषणा कर सकते हैं।



यात्रियों के लिए अच्छी खबर, ट्रेन में फिर से मिलेगा गर्म पका हुआ खाना

 

यात्रियों के लिए अच्छी खबर, ट्रेन में फिर से मिलेगा गर्म पका हुआ खाना


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। नई दिल्ली














नई दिल्ली।  ट्रेनों में जल्दी ही मुसाफिरों को एक बार फिर से पका हुए गर्म खाना मिलने लगेगा। भारतीय रेलवे बोर्ड ने शुक्रवार को बताया है कि ट्रेनों में पका हुआ भोजन परोसना फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है। कोरोना वायरस महामारी आने के बाद कई तरह के प्रतिबंधों रेल सफर के लिए लगाए गए थे, जिसमें पका खाना देना भी बंद कर दिया गया था। काफी समय बाद अब फिर से पका खाना मिलने लगेगा।हालांकि किस तारीख से ट्रेन में खाना मिलेगा, इसकी जानकारी अभी रेलवे ने नहीं दी है। इसकी जानकारी जल्दी ही रेलवे देगा।

रेलवे बोर्ड ने शुक्रवार को एक पत्र में बताया है कि उसने अपनी पर्यटन और खानपान शाखा इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) को सेवा फिर से शुरू करने के लिए कहा है। रेलवे बोर्ड ने बताया है कि यात्रियों को रेडी-टू-ईट भोजन भी परोसा जाता रहेगा।

लेटर में कहा गया है, सामान्य ट्रेन सेवाओं की बहाली, यात्रियों की जरुरतों और देश भर के भोजनालयों, रेस्तरां, होटलों और ऐसे अन्य स्थानों पर कोविड लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील के मद्देनजर, रेल मंत्रालय ने ट्रेनों में पके हुए भोजन की सेवाओं को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है। तैयार भोजन की सेवा भी जारी रहेगी।

यात्रियों के लिए ऑन बोर्ड कैटरिंग सेवा एवं अन्य सुविधाएं कब तक शुरू होंगी। इसको लेकर आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने कहा कि इस बारे में रेलवे बोर्ड से आदेश आने का इंतजार किया जा रहा है। जैसे ही रेलवे बोर्ड से कोई आदेश आता है इस सेवा की शुरुआत की घोषणा कर दी जाएगी। मार्च 2020 के बाद से ही रेलवे ने कैटरिंग बिजनेस पर रोक लगा दी थी। अब देश में कोरोना के मामले कम होने के बाद ज्यादातर सामान्य सेवाएं शुरू हो गई हैं तो रेलवे भी सेवाओं को सामान्य कर रहा है।

चुनाव से पहले मोदी का 'मास्टर स्ट्रोक', क्या पश्चिम यूपी में 6 मंडलों के 26 जिलों का समीकरण बदलेगा

 

चुनाव से पहले मोदी का 'मास्टर स्ट्रोक', क्या पश्चिम यूपी में 6 मंडलों के 26 जिलों का समीकरण बदलेगा


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। लखनऊ


















लखनऊ। 19 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश में बिछ रही चुनावी बिसात पर अभी सभी दल अपनी सधी हुई चालों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक तरफ जहां मोदी ने पिछले एक महीने से यूपी में अपने दौरों को और तेज कर दिया है वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को उन्होंने एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेल दिया जिससे आने वाले दिनों में यह विपक्ष पर भारी पड़ सकता है। मोदी ने तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है जिससे यूपी में कुछ महीने बाद होने वाले चुनाव का सियासी समीकरण ही बदल गया है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या पीएम मोदी का यह मास्टर स्ट्रोक पश्चिमी यूपी में बीजेपी को खोई जमीन वापस पाने, जाट-मुस्लिम समीकरण को ध्वस्त करने और किसानों के बीच एक सकारात्मक संदेश देने में कामयाब रहेगा। क्या पश्चिमी यूपी के 6 मंडलों के 26 जिलों में आने वाली 143 विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण बदल जाएगा।

पश्चिमी यूपी में इस फैसले का कितना पड़ेगा असर

कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा विरोध करने वालों में उत्तर प्रदेश के किसान भी शामिल थे। कृषि कानूनों का विरोध, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ, पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैल गया। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं। राजनीतिक विश्लेषक भविष्यवाणी कर रहे थे कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को घाटा होगा। इसलिए चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।

कृषि कानून वापस लेने से बदल सकता है यूपी का राजनीतिक समीकरण

वैसे तो पूरे देश के किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, लेकिन इसका बड़ा असर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। इसमें से दो राज्यों में चुनाव हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के संबंध में कहा जा रहा था कि राज्य का पश्चिमी भाग अधिक प्रभावित है। यहां बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन अब जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि अब राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. पश्चिम यूपी की 136 सीटों पर जाटों का प्रभाव है। बागपत और मुजफ्फरनगर जाटों का गढ़ है। मुजफ्फरनगर में सिसौली भारतीय किसान संघ की राजधानी है और बागपत में छपरौली रालोद का गढ़ है। इस फैसले का असर इन इलाकों में जरूर दिखाई देगा।

पश्चिमी यूपी की 143 सीटों पर किसान प्रभावी

किसानों की बात करें तो वेस्ट यूपी की 143 सीटों पर किसान प्रभावी रहे हैं। मेरठ पश्चिम यूपी की राजनीति का केंद्र बना हुआ है। मेरठ के अलावा बागपत और मुजफ्फरनगर राजनीति को नई दिशा देते हैं। यहां से जब भी हुंकार भरी जाती है तो पश्चिम के अन्य जिले मेरठ, बागपत और मुजफ्फरनगर के साथ खड़े नजर आते हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने खुद पश्चिम यूपी के गढ़ मेरठ से चुनावी रैली गढ़ी थी।

किसानों पर रहा सभी पार्टियों का फोकस

यहां बीजेपी, सपा, बसपा, रालोद का फोकस किसानों पर ही रहा है. शहरी क्षेत्र को छोड़कर बाकी ग्रामीण इलाकों में जाट समुदाय, गुर्जर, मुस्लिम किसान शामिल हैं। 2013 में मुजफ्फरनगर कवल कांड के बाद मुजफ्फरनगर दंगे हुए और दंगों का असर पूरे देश में दिखाई देने लगा। 5 सितंबर, 2021 को जीआईसी, मुजफ्फरनगर में आयोजित किसान संयुक्त मोर्चा की महापंचायत के बाद ही सरकार बैकफुट पर आने लगी थी, लेकिन सरकार के इस मास्टर स्ट्रोक से इस क्षेत्र में बड़ी जीत की उम्मीद हैं।

6 मंडलों और 26 जिलों में जाटों का प्रभाव है

वेस्ट यूपी के 6 मंडलों के 26 जिलों में जाटों का प्रभाव है. अलीगढ़ संभाग के 26 जिले मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा ऐसे हैं जहां जाट राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं. दिल्ली और हरियाणा से सटे बागपत में छपरौली, जहां पिछले 84 सालों से रालोद का गढ़ है। वहीं बागपत से लेकर आगरा तक यूपी और केंद्र की राजनीति पर जाटों का सीधा असर है. इन जाटों ने किसान आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। जाटों की राजनीति कर रही रालोद को इस किसान आंदोलन से बढ़त मिल रही थी, लेकिन अब समीकरण बदल सकते हैं।
भारतीय किसान संघ का प्रभाव पश्चिम यूपी तक

किसान आंदोलन के अपहरणकर्ता राकेश टिकैत का घर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यहां भी कई जगहों पर भाजपा नेताओं को गांवों में प्रवेश करने से रोका गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 110 में से 88 सीटें जीती थीं। 2012 के चुनाव में उसे सिर्फ 38 सीटें मिली थीं। लेकिन किसान आंदोलन को देखते हुए बीजेपी को बड़े नुकसान की बात कही जा रही थी। हालांकि, इस फैसले के बाद राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि इससे तस्वीर बदल जाएगी। संदेश जाएगा कि वे सरकार की नजर में महत्वपूर्ण हैं और इसलिए सरकार को झुकना पड़ा।



कृषि कानून वापसी पर हरियाणा के मंत्रियों ने PM मोदी को सराहा, बोले- किसान अब आंदोलन खत्म कर घर लौटें

 

कृषि कानून वापसी पर हरियाणा के मंत्रियों ने PM मोदी को सराहा, बोले- किसान अब आंदोलन खत्म कर घर लौटें


By -  ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। अंबाला



















अंबाला। मोदी सरकार ने किसान आंदोलनकारियों की मांग मानते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह देश के नाम अपने संबोधन में खुद इसका ऐलान किया। मोदी के ऐलान के बाद से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। वहीं, हरियाणा सरकार के मंत्री भी किसान आंदोलनकारियों से कहने लगे कि, वे इस फैसले का स्‍वागत करें। अंबाला में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि, "जो आंदोलनकारी चाहते थे, वो हो गया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। सभी किसानों को इसका स्वागत करना चाहिए और अब अपने धरने समाप्त कर देने चाहिए।

हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा, "भाजपा सरकार ने हमेशा किसानों के हित में काम किए हैं। गुरु नानक के प्रकट पर्व पर किसानों की खातिर पीएम मोदी ने बड़ा फैसला लिया है। अब किसानों के हित में एक आयोग बनाया जाएगा। उस आयोग में केन्द्र सरकार और किसान संगठनों के लोग होंगे, जो कि किसानों से जुड़े फैसले लेंगे। जेपी दलाल ने आगे कहा कि, कानून रद्द होना किसी की हार-जीत का मसला नहीं है। मैं कह रहा हूं कि, किसान हमारे लिये हमेशा आदरणीय और पूजनीय हैं। हमारी सरकार किसान हित में फैसला लेने पर कभी पीछे नहीं हटती है।

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा पर भी पलटवार किया। कृषि मंत्री ने कहा कि, कांग्रेसियों ने हमारी सरकार की तरह काम नहीं किए। जनता भाजपा-जजपा सरकार के साथ है और हरियाणा में हमारी मज़बूत गठबंधन सरकार है, जो लगातार जनहित में काम कर रही है।

गुरुवार, 18 नवंबर 2021

लेह में 1962 युद्ध स्मारक का उद्घाटन, रिटायर ब्रिगेडियर को खुद व्हील चेयर से ले गए राजनाथ

 

लेह में 1962 युद्ध स्मारक का उद्घाटन, रिटायर ब्रिगेडियर को खुद व्हील चेयर से ले गए राजनाथ


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी ।। नई दिल्ली













नई दिल्ली। 18 नवंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित रेजांग ला में एक पुनर्निर्मित युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया। ये वही जगह है, जहां पर भारतीय सैनिकों ने 1962 के युद्ध में चीनियों को सबक सिखाया था। इस दौरान भारतीय सेना के तत्कालीन ब्रिगेडियर आरवी जतार भी मौजूद रहे। पहले तो रक्षा मंत्री ने उसका स्वागत किया, इसके बाद खुद उनकी व्हीलचेयर को स्मारक तक लेकर गए। इसका वीडियो रक्षा मंत्रालय के पीआरओ उधमपुर ने शेयर किया है।

पीआरओ ने वीडियो के साथ लिखा कि 13 कुमाऊं के ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आरवी जातर, जिन्होंने 1962 के चीन-भारत संघर्ष में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उनके साथ थे। वहीं रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे रेजांग ला की लड़ाई में बहादुरी से लड़े ब्रिगेडियर (रिटा.) आरवी जतार से भेंट करने का अवसर मिला। वे उस समय कम्पनी कमांडर थे। उनके प्रति सम्मान के भाव से मैं अभिभूत हूं और उनके साहस को मैं नमन करता हूं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे और दीर्घायु करें।

18 हजार फीट पर लड़ाई

रेजांग ला की लड़ाई ऐतिहासिक थी, जिसे 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। उस वक्त मेजर शैतान सिंह और उनके साथियों ने 'आखिरी गोली और आखिरी सांस' तक लड़ाई लड़ी। उन्हीं जवानों के सम्मान में एक स्मारक बनाया गया है।



संगठन में पद के साथ टिकट की आस रखने वालों के लिए क्या "स्पीड ब्रेकर" बनेगा अमित शाह का फरमान ?

 

संगठन में पद के साथ टिकट की आस रखने वालों के लिए क्या "स्पीड ब्रेकर" बनेगा अमित शाह का फरमान ?


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी ।। लखनऊ












लखनऊ। 18 नवंबर को उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सत्ता में वापसी के नायक रहे तत्कालीन यूपी प्रभारी और वर्तमान गृहमंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष का वह बयान आजकल बीजेपी के पदाधिकारियों के कानों में गूंज रहा है कि संगठन में पद चाहिए तो विधानसभा में टिकट की अपेक्षा न करें। बल्कि संगठन जिसे टिकट दे उसे मजबूती के साथ जिताने का काम करें। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान के बाद बीजेपी संगठन से जुड़े ऐसे पदाधिकारियों को मायूसी हाथ लगी है जो टिकट की लाइन में लगे हुए हैं। अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि 2014, 2017 और 2019 के चुनावों के दौरान भी इस तरह के फरमान जारी किए गए लेकिन जब टिकट देने का समय आया तो इस तरह के दावे धरे के धरे रह गए। तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि योगी को सत्ता में वापस लाने के लिए इस बार संगठन के पदाधिकारियों पर यह फरमान लागू होगा या नहीं।

पदाधिकारियों के लिए ब्रेकर का काम करेगा शाह का फरमान

बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत चलता है। लेकिन सूत्रों की माने तो इस तरह के बयान पिछले तीन चुनावों से दिए जा रहे हैं लेकिन टिकट देते समय आम पदाधिकारियों को तो नियमों का हवाला दे दिया जाता है लेकिन कई लोग संगठन के साथ ही विधानसभा का टिकट पाने में भी कामयाब हो जाते हैं। तो फिर वाराणसी में अमित शाह द्वारा दिए गए इस बयान के क्या मायने हैं। क्या उनका बयान वाकई में संगठन में काम कर रहे ऐसे पदाधिकारियों के लिए ब्रेकर का काम करेगा जो टिकट की आस लगाए बैठे हैं।

संगठन के लिए काम कर रहे हैं तो टिकट मांगना गुनाह नहीं

बीजेपी के एक पदाधिकारी कहते हैं कि कि टिकट मांगना कोई गुनाह नहीं है। संगठन में यदि कोई शख्स काम कर रहा है कि तो अपने भविष्य और बेहतरी के लिए ही काम करता है। टिकट लेने की पीड़ा सभी की होती है। बीजेपी एक तरफ तो लगभग 100 विधायकों का टिकट काटने जा रही है। जिसमें लगभग एक दर्जन मंत्री भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में यदि विधायकों का टिकट कटता है तो उसके बाद इन टिकटों का दावेदार कौन होगा। क्या वो बाहरी होंगे या संगठन में काम करने वाले लोग होंगे। बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जब लोग संगठन में पदाधिकारी रहने के साथ ही विधायक भी चुनकर आते हैं।

संगठन के साथ तालमेल न बैठाने वाले विधायकों की सूची तैयार

सूत्रों की माने तो शाह ने संकेत दिया है कि पुराने फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाले विधायकों को मैदान में नहीं उतारा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक उन विधायकों की सूची तैयार की जा रही है जो संगठन से तालमेल नहीं बिठा रहे हैं और जिनका फीडबैक संतोषजनक नहीं है। सूत्रों ने बताया कि आंतरिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर भाजपा इस बार 312 में से 100 से अधिक मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है।

बीजेपी के आंतरिक सर्वेक्षण में 100 विधायकों की रिपोर्ट निगेटिव

खबर यह भी है कि शाह के दौरे के दौरान मौजूदा विधायकों के प्रदर्शन पर भी चर्चा होगी. सूत्रों ने कहा कि बीजेपी के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 100 सीटों पर विधायकों को लेकर काफी असहमति है. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार इन विधायकों को विधानसभा चुनाव लड़ने का टिकट नहीं मिल पाएगा। सूत्रों ने हालांकि दावा किया कि अपने लखनऊ दौरे के दौरान शाह सभी विधायकों की प्रदर्शन रिपोर्ट पर चर्चा की थी। कहा जा रहा है कि 2022 के यूपी चुनावों के लिए टिकट तय करते समय जाति समीकरण और सत्ता विरोधी वोटों पर भी विचार किया जा रहा है।

शास्त्री नगर में तिरंगा चौक पर शास्त्री नगर महिला मंडल के द्वारा सदस्यता अभियान के तहत शिविर लगाया गया ।

 शास्त्री नगर में तिरंगा चौक पर शास्त्री नगर महिला मंडल के द्वारा सदस्यता अभियान के तहत शिविर लगाया गया ।


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी ।। मेरठ








मेरठ। आज दिनांक 18 नवंबर 2021 को के ब्लॉक शास्त्री नगर में तिरंगा चौक पर शास्त्री नगर महिला मंडल के द्वारा सदस्यता अभियान के तहत शिविर लगाया गया । इस शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक सोमेंद्र तोमर  उपस्थित रहे । जिसके अंतर्गत लोगों को मिस कॉल के द्वारा भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बनाया गया तथा मंडल अध्यक्ष आशु सिंह  ,हिमानी  उपाध्यक्ष, मंजू शर्मा,  संध्या शर्मा , आदि लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

भारतीय किसान यूनियन जनसेवाशक्ति ने करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या के मामले में माननीय प्रधानमंत्री के नाम उपजिलाधिकारी जेवर को ज्ञापन सौंपा

  भारतीय किसान यूनियन जनसेवाशक्ति ने करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या के मामले में माननीय प्रधानमंत्री के नाम उपजिला...