गुरुवार, 18 नवंबर 2021

संगठन में पद के साथ टिकट की आस रखने वालों के लिए क्या "स्पीड ब्रेकर" बनेगा अमित शाह का फरमान ?

 

संगठन में पद के साथ टिकट की आस रखने वालों के लिए क्या "स्पीड ब्रेकर" बनेगा अमित शाह का फरमान ?


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी ।। लखनऊ












लखनऊ। 18 नवंबर को उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सत्ता में वापसी के नायक रहे तत्कालीन यूपी प्रभारी और वर्तमान गृहमंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष का वह बयान आजकल बीजेपी के पदाधिकारियों के कानों में गूंज रहा है कि संगठन में पद चाहिए तो विधानसभा में टिकट की अपेक्षा न करें। बल्कि संगठन जिसे टिकट दे उसे मजबूती के साथ जिताने का काम करें। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान के बाद बीजेपी संगठन से जुड़े ऐसे पदाधिकारियों को मायूसी हाथ लगी है जो टिकट की लाइन में लगे हुए हैं। अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि 2014, 2017 और 2019 के चुनावों के दौरान भी इस तरह के फरमान जारी किए गए लेकिन जब टिकट देने का समय आया तो इस तरह के दावे धरे के धरे रह गए। तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि योगी को सत्ता में वापस लाने के लिए इस बार संगठन के पदाधिकारियों पर यह फरमान लागू होगा या नहीं।

पदाधिकारियों के लिए ब्रेकर का काम करेगा शाह का फरमान

बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत चलता है। लेकिन सूत्रों की माने तो इस तरह के बयान पिछले तीन चुनावों से दिए जा रहे हैं लेकिन टिकट देते समय आम पदाधिकारियों को तो नियमों का हवाला दे दिया जाता है लेकिन कई लोग संगठन के साथ ही विधानसभा का टिकट पाने में भी कामयाब हो जाते हैं। तो फिर वाराणसी में अमित शाह द्वारा दिए गए इस बयान के क्या मायने हैं। क्या उनका बयान वाकई में संगठन में काम कर रहे ऐसे पदाधिकारियों के लिए ब्रेकर का काम करेगा जो टिकट की आस लगाए बैठे हैं।

संगठन के लिए काम कर रहे हैं तो टिकट मांगना गुनाह नहीं

बीजेपी के एक पदाधिकारी कहते हैं कि कि टिकट मांगना कोई गुनाह नहीं है। संगठन में यदि कोई शख्स काम कर रहा है कि तो अपने भविष्य और बेहतरी के लिए ही काम करता है। टिकट लेने की पीड़ा सभी की होती है। बीजेपी एक तरफ तो लगभग 100 विधायकों का टिकट काटने जा रही है। जिसमें लगभग एक दर्जन मंत्री भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में यदि विधायकों का टिकट कटता है तो उसके बाद इन टिकटों का दावेदार कौन होगा। क्या वो बाहरी होंगे या संगठन में काम करने वाले लोग होंगे। बहुत से ऐसे उदाहरण हैं जब लोग संगठन में पदाधिकारी रहने के साथ ही विधायक भी चुनकर आते हैं।

संगठन के साथ तालमेल न बैठाने वाले विधायकों की सूची तैयार

सूत्रों की माने तो शाह ने संकेत दिया है कि पुराने फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाले विधायकों को मैदान में नहीं उतारा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक उन विधायकों की सूची तैयार की जा रही है जो संगठन से तालमेल नहीं बिठा रहे हैं और जिनका फीडबैक संतोषजनक नहीं है। सूत्रों ने बताया कि आंतरिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर भाजपा इस बार 312 में से 100 से अधिक मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है।

बीजेपी के आंतरिक सर्वेक्षण में 100 विधायकों की रिपोर्ट निगेटिव

खबर यह भी है कि शाह के दौरे के दौरान मौजूदा विधायकों के प्रदर्शन पर भी चर्चा होगी. सूत्रों ने कहा कि बीजेपी के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 100 सीटों पर विधायकों को लेकर काफी असहमति है. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार इन विधायकों को विधानसभा चुनाव लड़ने का टिकट नहीं मिल पाएगा। सूत्रों ने हालांकि दावा किया कि अपने लखनऊ दौरे के दौरान शाह सभी विधायकों की प्रदर्शन रिपोर्ट पर चर्चा की थी। कहा जा रहा है कि 2022 के यूपी चुनावों के लिए टिकट तय करते समय जाति समीकरण और सत्ता विरोधी वोटों पर भी विचार किया जा रहा है।

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