बुधवार, 9 मार्च 2022

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में फेकल्टी डेवल्पमेंट प्रोग्राम का नवां दिवस

 

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में फेकल्टी डेवल्पमेंट प्रोग्राम का नवां दिवस










मेरठ। 9 मार्च (मेरठ खबर लाइव न्यूज )चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के मान्यवर काशीराम शोध पीठ एवं इंडियन इकॉनामिक एसोसिएशन के सौजन्य से दिनांक 26.2..2022 से ’’सामाजिक एवं मानविकी विज्ञान में शोध प्रविधि एवं समंक विश्लेषण तकनीक’’ विषय पर आयोजित 14 दिवसीय फेकल्टी डेवल्पमेंट प्रोग्राम के नवें दिन आज दिनांक 9.3.2022 को प्रथम सत्र के रिसोर्स पर्सन प्रो0 मनोज मिश्रा, कॉलेज ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स, सलाले विश्वविद्यालय, फिचे, इथियोपिया ने प्रैटिक्स ऑन ईव्यूज-सॉफटवेयर’’ की व्यावहारिक जानकारी दी। 

द्वितीय सत्र के रिसोर्स पर्सन प्रो0 जमाल अहमद सिद्दीकी डिपार्टमेंट एंड डिप्यूटी लाइब्रेरीज, चौ0 चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने ई-कन्टेंट पर पर अपना व्याख्यान दिया। साथ ही एक शोधार्थी व शोध-निर्देशक को शोध के समय क्या समस्याएं आती है, पर चर्चा की। उन्होंनें प्रतिभागियों को निसर्च के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि शोध प्रक्रिया के दौरान सबसे कठिन कर्य समस्या की पहचान करना है।इन्होंने कैटलॉग व ई-बुक्स पोर्टल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन्फिलबिनेटकी वेबसाइट पर जाकर शोधगंगा पोर्टल पर पूरे देश की तमाम विश्वविद्यालयों के द्वारा कराई गई पी0एच0डी0 दिखाई देगी। 

तृतीय सत्र में प्रो0 इंदु ;पांडेद्ध खंडूरी, एच एन बी गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर, उत्तराखण्ड ने कहा कि शोध नीतिशास्त्र का दूसरा रूप है, जो व्यक्ति को सद्मार्गों की ओर ले जाता है। मानव व्यवहार को नियन्त्रित करने के लिए विभिन्न मापदंड जिनमें व्यक्तिगत मूल्य, नैतिक मूल्य, बाजार मूल्य, सामाजिक मूल्य तथा वैश्विक मूल्य के आधार का स्तम्भ शोध है। उन्होंने शोधकर्ता तथा सुपरवाइजर दोनों के शोध व्यवहार की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि नैतिक नियमों के बिना शोध, शोध नहीं कहा जाना चाहिए। उन्होनें प्लेगरिज्म के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए शोध को सामाजिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने सुनने, मनन करने तथा समर्पित होने की प्रक्रिया को समझाते हुए शोधार्थी के विभिन्न लक्षणों की विस्तृत चर्चा की। चतुर्थ सत्र में प्रो0 बी0 पी0 चन्द्रमोहन ;वी0 आई0एस0टी0ए0एस0द्ध चेन्नई ने शोध क्या है, शोध का महत्व, शोध समस्या को व्यवस्थित करना, शोध में परिकल्पनाओं का निर्माण व महत्व, शोध प्रारूप के अन्तर्गत अन्वेषणात्मक, वर्णनात्मक, निदानात्मक तथा प्रयोगात्मक शोध विधि, शोध में न्यादर्श का पता लगाना, आंकड़ों का एकत्रीकरण व उनका प्रयोग करना एवं विश्लेषण, परिकल्पनाओं का परीक्षण कर सामान्यीकरण एवं व्याख्यान करना तथा शोध प्रबन्ध के प्रतिवेदन की तैयारी आदि महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डाला। डॉ0 सविता वशिष्ठ, फरहा नाज, डॉ0 कनिका माहेश्वरी व डॉ0 सपना शर्मा ने रिसोर्स पर्सन का स्वागत तथा आभार प्रस्तुत किया व आकाश राठी, शिखा सिंह, दिनेश गहलौत व मीतू सिंह ने प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ सत्र की रिपोर्ट राइटिंग की।

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