बुधवार, 30 मार्च 2022

उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित व महाविद्यालय इतिहास विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन हुआ समापन


उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित व महाविद्यालय इतिहास विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरे दिन हुआ भव्य समापन





मेरठ। आज दिनांक 30 मार्च (मेरठ ख़बर लाइव न्यूज) को उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित व महाविद्यालय इतिहास विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के समापन सत्र में महाविद्यालय  प्राचार्य व संरक्षिका प्रो०( डॉ) अंजू सिंह व उपस्थित सभी मंचासीन  अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण किया गया ।संगोष्ठी की समन्वयक इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ ०अनीता गोस्वामी ने सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन किया तथा विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रुप में कैलिफोर्निया यू०एस०ए० से आई अतिथि ,डेम मौने आयरोन ने अपने उद्बोधन में समस्त को आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होकर एक अच्छा मनुष्य कैसे बना जाए इस बात पर बताया गया, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला व कार्यस्थल पर ध्यान के विभिन्न तरीकों से ऊर्जावान बने रहने के तरीके भी बताए। अतिथि वक्ता डॉ ०विनोद कुमार सिंह, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, बांदा से समापन सत्र में उपस्थित रहे ।जीवन दर्शन, सांस्कृतिक संवाहक के रूप में उन्होंने वेदों पुराणों की व्याख्या की ।उन्होंने कहा कि हमारा पौराणिक साहित्य हमें जीवन जीने की राह दिखाता है और वर्तमान में हमें पुनः जरूरत है अपने वेदों ,पुराणों में निर्दिष्ट बातों को आत्मसात करने की ।वक्ता के रूप में डॉ० कामिनी वर्मा जी सत्र में उपस्थित रही।अपने उद्बोधन में उन्होंने  पौराणिक साहित्य के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए सन्यास की उचित अर्थ की व्याख्या की व इस बात की विवेचना की कि दैनिक जीवन में सन्यास की अवधारणा का पालन हम कैसे कर सकते हैं ।महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ ०सुरेश जैन जी ने अपने उद्बोधन में वेदों के वैज्ञानिक पक्ष को मजबूती से श्रोताओं के समक्ष रखा।  उन्होंने पुराणों, वेदों के अनुसरण की बात भी कही और उनके प्रयोग के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने की बात भी कही। लखनऊ से डॉ० वंदना संत जी सत्र में  अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित रही।









अपने वक्तव्य में उन्होंने भारतवर्ष की गौरवशाली सांस्कृतिक पहचान पर प्रकाश डालते हुए उन्नत जीवन जीने के लिए कहा कि आज  हमें वापस अपने सांस्कृतिक मूल्यों की शरण में जाना होगा, उन्होंने सन्यास की उसके सही अर्थों में विवेचना की। संगोष्ठी की समन्वयक डॉ ०अनीता गोस्वामी ने अपनी समीक्षा में  संगोष्ठी के आयोजन की समस्त रूपरेखा श्रोताओं के समक्ष रखी। उन्होंने संगोष्ठी के विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए सन्यास विषय की उपादेयता पर प्रकाश डाला ,उन्होंने बताया कि सन्यास की सही अवधारणा क्या है और उसे हम किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम की  संरक्षिका महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर डॉ० अंजू सिंह ने अपने उद्बोधन में आयोजन  समिति को  संगोष्ठी के सफल संचालन हेतु शुभकामनाएं दी ,व कहा कि  छात्राओं के बहुआयामी व्यक्तित्व विकास हेतु इस प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम महाविद्यालय में निरंतर होने चाहिए जिससे कि विद्यार्थियों में एक अनुसंधान परक सोच का विकास हो सके। कार्यक्रम में समस्त महाविद्यालय परिवार व शोधार्थियों की उपस्थिति सराहनीय रही।

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