यज्ञ से बढ़ता है सुख सौभाग्य - ठा. विक्रम सिंह
By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। मेरठ
मेरठ।कन्या गुरुकुल झिटकरी-भामोरी में अमावस्या के उपलक्ष्य में मासिक सत्संग किया गया। सत्संग का आरम्भ आचार्या आदेश शास्त्री के द्वारा देवयज्ञ से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मनु संस्कृति संस्थान के संस्थापक दानश्रेष्ठी ठा. विक्रम सिंह (दिल्ली) ने कहा कि यज्ञ हमारी वैदिक संस्कृति का एक मुख्य आधारस्तम्भ है। यज्ञ करने वाले मनुष्यों के घर धन-धान्य और सौभाग्य से परिपूर्ण रहता है क्योंकि देवयज्ञ करने से तीन कार्य सम्पादित होते हैं, एक देवपूजा, दूसरा सत्संग और तीसरा है दान, इन तीनों का मनुष्य के जीवन मे सुख - शांति स्थापित कराने में अत्यधिक महत्व है। अतः सभी को प्राचीनकाल की भांति अब पुनः से बड़े बड़े यज्ञों के आयोजन करने चाहिए। इस अवसर पर ठा. विक्रम सिंह जी के द्वारा गुरुकुल के अंत:वासियों को कम्बल भी वितरित किये गए। साथ ही डॉ कपिल आचार्य ने कहा कि परोपकार की सर्वोत्तम विधि का नाम यज्ञ है। क्योंकि यज्ञ की सुगन्धी अनेक प्राणियों तक पहुंचती है, वे प्राणी उस सुगन्धी को पाकर आनन्दित होते हैं। यज्ञकर्ता भी अपने यज्ञीय सत्कर्म से सुख अनुभव करता है। सुगन्धी प्राप्त करने वाले प्राणी यागिक को नही जानते और न ही यागिक उन्हें जानता है। फिर भी परोपकार हो रहा है और वह भी निष्काम। इसलिए हमें यज्ञ की शरण मे आना चाहिए। यज्ञ की आचार्या आदेश शास्त्री ने कहा कि मनुष्य को निरंतर यज्ञीय कर्म करते हुए परमात्मा को धन्यवाद देते रहना चाहिए। क्योंकि जो भी उत्तम साधन आज हम मनुष्यों के पास है, वो सब परमात्मा प्रदत्त है, अतः कभी परमात्मा को नही भूलना चाहिए। इस अवसर पर आर्य समाज श्रधापुरी कंकरखेड़ा के मंत्री यशपालसिंह आर्य और ऋषिपाल जी आर्य सपत्नीक यजमान रहे। भोजन प्रसाद की व्यवस्था यशपालसिंह आर्य की तरफ से रही। राजपाल सिंह आर्य ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर अशोक प्रधान, करमराम, सुधीर आर्य झिटकरी, विजयपाल सलावा, मास्टर सुरेंद्र छुर, शारदा माता भमोरी, रेखा शर्मा, ओमसिंह कपसाड़, डॉ कालीचरण राड़धना, राकेश आर्य, विवेक आर्य कुशावली, विद्यासागर आर्य, भीष्म आर्य, महिमा आर्या, कविता आर्या, वैष्णवी आर्या, पवन त्यागी आदि उपस्थित रहे।
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