बाबुल मैं तो चली,अपने पीय की गली
बाबुल मैं तो चली,अपने पीय की गली
महिला काव्यमंच(मेरठ जिला इकाई
By - मेरठ ख़बर (सह संपादक) प्रवेश कुमार रोहतगी।। मेरठ
मेरठ । इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी दिन रविवार शाम 4 बजे प्रारम्भ हुई । जिसमें अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीतू सिंह राय मुख्य अतिथि के रूप में रहीं । पश्चिमी उत्तर प्रदेश इकाई की अध्यक्ष डॉ अंजू जैन विशिष्ट अतिथि रहीं । हाथरस इकाई की जिलाध्यक्ष सीमा शर्मा, कासगंज इकाई की जिलाध्यक्ष अतिथि रहीं । मेरठ इकाई की जिलाध्यक्ष सुषमा "सवेरा "ने अध्यक्षता की भूमिका निभाते हुए बखूबी संचालन कर खूब तालिया बटोरी। उपाध्यक्ष नीलम मिश्रा ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम को गतियमान किया। नीतू सिंह राय ने अपना सम्बोधन देते हुए कुछ यूँ अपनी बत कही। दर्द सरेआम बिकता है यहाँ, साहित्य के बाजार में और औरत का
दर्द का भाव तो सदा आसमान पर रहता है। अंजू जैन यूँ बोली - बनकर मशीन हमनें खोया सुकूँ अपना, दिन रात अब हमारे सिक्कों में ढल रहे हैं । सुषमा "सवेरा "ने विदाई गीत सुना सबको भावविभोर कर दिया । बाबुल मैं तो चल, अपने पीय की गली.... ना रुलाना, देखो देखो ना आँसू बहाना ।
सीमा शर्मा ने पढ़ा - मजबूत हैं दीवार मेरे होंसलों की, सुन जिंदगी तू गिरा ना पायेगी।
पारुल ने कहा - आते जातते उस परेशानी पर, गढ़ दो अधखुले कंवलों के निशा!
नीलम मिश्रा
का अंदाज कुछ यूँ रहा- सब कहते हैं नया लिखूँगी, मैं कहती हूँ जुदा लिखूँगी, आँसू से भीगा हो कागज फिर भी उसपे वफ़ा लिखूँगी।
मुक्ता ने कहा- जरा ठहर जा ये दरिया रवानी लेके आई हूँ, चमन के रंग ओ बू की ये निशानी लेके आई हूँ। रेखा गिरीश ने पढ़ा-चलो शाम खुशनुमा यूँ बनाएं, सभी को सुने और अपनी सुनाएं। शुभम त्यागी का अंदाज कुछ यूँ रहा हैंं, कठिन है रास्ता मगर रुकना नहीं हैं, हमको जीवन पथ पर अब रुकना नहीं है। पूनम ने कहा कविता तुम्हें क्या सुनाऊँ कविता तो मुझे आती नहीं,तुम क्ष तो भावनाएं कागज पर उडेल डालूँ । सरोजिनी का निराला अंदाज यूँ था - ख़ुशी से मौत पे अहसान कर गये होते, वो दर्द था की हकीकत में मार गये होते। नंदिनी बोली माटी हूँ मैं इस देश की माटी,कुमार की थपकी जब जब मिलती तब तब नये रूपों में धाती रेखा वाधवा ने पढ़ा नमन आज उन वीरों को जो लौट के घर ना आये हैं, हे मातृ शक्ति शत बार नमन नहीं तेरा दूध लजाये है। स्वाति ने कहा , मुस्कराकर दर्द भुलाकर रिश्तो में बंद उसकी दुनियाँ सारी, हर घर को रोशन करने वाली, वो शक्ति ही है नारी । चित्रा ने पढ़ा तुम प्रिये आराध्य मेरे मैं तेरी आराधना हूँ, अपर्णा की अंजुली में मैं समर्पित भावना हूँ। शोभा विजय ने पढ़ा जब मिला था मुझको पदोन्नति का पैगाम संगीता आत्रेय, रचना वानिया,दर्शना, अलका गुप्ता आदि बहनों ने भी साथ दिया। अंत में सुषमा "सवेरा " ने सभी का आभार प्रकट किया।
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