मंगलवार, 25 जनवरी 2022

आजादी का अमृत महोत्सव एवं चौरी चौरा शताब्दी समारोह आयोजित।

 

आजादी का अमृत महोत्सव एवं चौरी चौरा शताब्दी समारोह आयोजित।

 By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। मेरठ


मेरठ ।25 जनवरी स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती लॉ कॉलिज में उत्तर प्रदेश राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव एवं चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की थीम पर हाइब्रिड गोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य वक्ता सुभारती विधि संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रो.डा. वैभव गोयल भारतीय ने उत्तर प्रदेश दिवस के गौरवान्वित इतिहास से सभी को अवगत कराते हुए आजादी का अमृत महोत्सव एवं चौरी चौरा शताब्दी के बारे में विस्तृत से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश वासी होने के कारण हम सबको गर्व है कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विभिन्न संस्कृतियों का केन्द्र होने के साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक और पर्यटन की दृष्टि से भी सम्पन्न राज्य है। लेकिन स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण के मुद्दो पर बहुत काम होना बाकी है। तभी उत्तर प्रदेश देश को नयी दिशा देने वाला राज्य बन पायेगा। उन्होंने कहा कि आज हम विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से आजादी का अमृत महोत्सव मनाकर अपने सभी स्वतन्त्रता सेनानियों को नमन कर रहे हैं जिन्होंने भारत वर्ष को गुलामी के दंश से बाहर निकालकर हमें स्वतन्त्रता प्रदान की। भारत माता के सभी वीर सपूतों का और चौरी-चौरा घटना से जुड़े सभी क्रांतिकारियों को शत्-शत् नमन। डा.आशुतोष गर्ग ने चौरी-चौरा घटना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 04 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में गांधी जी के आह्वान पर चलाये जा रहे असहयोग आंदोलन के तहत कुछ सत्याग्रही चौरी-चौरा में आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान अंग्रेज सिपाही ने एक क्रांतिकारी की गांधी टोपी को पांव तले रौंद दिया। इसके बाद सत्याग्रही आक्रोशित हो गये और उनके आक्रोश से घबराये पुलिस वाले भागकर थाने में छिप गये और उन्होंने फाइरिंग शुरू कर दी जिससे 3 सत्याग्रही मौकें पर शहीद हो गये। गुस्साएं क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी जिसमें थानेदार सहित 23 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। महात्मा गांधी ने इस घटना के बाद यह कहते हुए असहयोग आंदोलन वापिस ले लिया कि ये आंदोलन अब अहिंसक नही रहा है। गुस्साई अंग्रेजी सरकार ने इस इलाके के लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिया। घटना के मुकदमें में 114 क्रांतिकारियों को मौत और दर्जनों लोगों को काले पानी की सजा सुनाई गयी। इसके बाद पूर्वांचल के गांधी कहे जाने वाले संत बाबा राघवदास की अपील पर मदन मोहन मालवीय ने कोर्ट में क्रांतिकारियों का पक्ष रखा और 114 लोगों में से 95 लोगों की मौत की सजा माफ करायी। इस घटना के बाद गोरखपुर ऐसे क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया जिनका मानना था कि आजादी सिर्फ अहिंसा से नही मिलने वाली। इस गोष्ठी कार्यक्रम में डा.रीना बिश्नोई, डा.सारिका त्यागी, डा.प्रेमचन्द्र, आफरीन आल्मास,  विकास त्यागी, शालिनी गोयल, एना सिसोदिया आदि शिक्षक शामिल रहें।

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