रविवार, 23 जनवरी 2022

कांग्रेस ने 1944 में देश के साथ की गद्दारी : चन्द्र कुमार बोस सुभारती विश्वविद्यालय में हुआ पराक्रम दिवस पर भव्य वेबिनार का आयोजन



कांग्रेस ने 1944 में देश के साथ की गद्दारी : चन्द्र कुमार बोस सुभारती विश्वविद्यालय में हुआ पराक्रम दिवस पर भव्य वेबिनार का आयोजन

By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। मेरठ











मेरठ । अखंड भारत को पूर्ण स्वराज सन 1944 में ही मिल गया होता अगर उस समय कांग्रेस ने देश के साथ गद्दारी नहीं की होती। 14 अप्रैल 1944 को आजद हिन्द फ़ौज ने भारत के मोईरंग में अंग्रेजों को हराकर देश को आजाद कराया और पहली बार भारत में अखंड स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। यह स्वतंत्रता  तीन माह तक रही। इस तीन माह के दौरान कई घटना क्रम हुए जिस कारण आजाद हिन्द फ़ौज दिल्ली के लाल किले पर झंडा न फहरा सकी। पहला कारण जापान का इस लड़ाई से पीछे हट जाना। दूसरा जो कारण था तत्कालीन कांग्रेस नेताओ ने उस समय नेताजी का साथ नहीं दिया। देश के साथ गद्दारी कर अंग्रेजी हुकुमत का साथ दिया।  उक्त बातें रविवार को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के पौत्र चन्द्र कुमार बोस ने स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाष शोध पीठ, राष्ट्रीय सेवा योजना व संस्कृति विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक दिवसीय वेबिनर ‘पराक्रम दिवस’ में कही।कार्यक्रम का शुभारम्भ नेताजी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन  एवं सलामी देकर किया गया ।इस महान अवसर पर नेताजी के प्रखर अनुयायी एवं सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण ने देशवासियों को आज के दिन की बधाई प्रेषित की और कहा कि नेताजी आजाद भारत के मुख्य प्रणेता हैं। नेता जी नहीं होते तो देश आजाद नहीं होता।आज हम अपनी कृतज्ञता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को ज्ञापित करते हैं।  

कला संकाय के अधिष्ठाता व गणेश शंकर विद्यार्थी सुभारती पत्रकरिता एवं जनसंचार विभाग के प्रमुख प्रो डॉ नीरज कर्ण सिंह के स्वागत उद्बोधन के साथ शुरू हुआ। प्रोफेसर सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि नेताजी के आदर्शों का सुभारती विश्वविद्यालय परिवार सदा अनुसरण करता है।नेताजी के संस्मरण को जीते हुए पत्रकरिता विभाग में नेताजी सुभाष शोध पीठ का गठन किया गया है।नेताजी सुभाष शोध पीठ के समन्वयक प्रोफेसर अशोक त्यागी ने अपने संबोधन में कहा कि नेताजी के जीवन का प्रत्येक आयाम स्पर्श करने वाला है। उनके सपनों के  राष्ट्र निर्माण में हम सभी को अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए। नेताजी के जीवन के विविध पहलुओं को जब हम आत्मसात करेंगे तो पायेंगे कि वह जहाँ राष्ट्रनिर्माता की भूमिका अदा कर रहे थे वहीँ वह एक सफल अर्थ शास्त्री, शिक्षाशास्त्री भी थे। हरे कृष्ण बागची को लिखे पत्र में नेता जी ने शिक्षा के तीन सूत्रों का उल्लेख किया है। नेताजी की श्रमिक नीतियों के साथ साथ  श्री त्यागी ने उनके के वीर सावरकर से संबंधों पर भी अपने विचार रखें।

विश्वविद्यालय के कुलपति सेवानिवृत मेजर जनरल डॉ जी के थपलियाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय की आत्मा राष्ट्रीयता है। यह विश्वविद्यालय अपने राष्ट्र पुरुषों के आदर्शों को आत्मसात कर अपने विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण करता है। नेताजी युवाओं के नायक  थे,उनकी एक आवाज पर 60 हज़ार  युवाओं की आजाद हिन्द फ़ौज तैयार हो गई। एकता की शक्ति को वह जानते थे, वह एक महान सेनाध्यक्ष व राष्ट्रपुरुष  थे। आजादहिंद फ़ौज के सैनिको का उत्साहवर्धन और संचालन अत्यंत सफल तरीके से करते थे।संस्कृति विभाग के साधक कुलदीप नारायण ने अपने उद्बोधन में नेताजी के जीवन परिचय से बसको रुबरु कराया। नेताजी की याद में उन्होंने एक गीत भी प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का संचालन अध्यापिका प्रीती सिंह व धन्यवाद ज्ञापन संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ विवेक संस्कृति ने दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का चप्पा चप्पा राष्ट्र नायकों को समर्पित है जो हमें उनके आदर्शों पर चलने कि सीख देता है। नेता जी के 125 वें जयंती के अवसर पर श्री विवेक ने नेताजी द्वारा आजाद हिन्द फ़ौज को दिया गया एक मैडल भी दिखाया जो अब विश्वविद्यालय में सुरक्षित है।

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