गुरुवार, 20 जनवरी 2022

सुभारती विश्वविद्यालय के परफार्मिंग आर्टस विभाग में पद्मविभूषण पं0 बिरजू महाराज जी को दी गई श्रद्धांजलि

 


सुभारती विश्वविद्यालय के परफार्मिंग आर्टस विभाग में पद्मविभूषण पं0 बिरजू महाराज जी को दी गई श्रद्धांजलि

By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। मेरठ






मेरठ।सुभारती विश्वविद्यालय के परफार्मिंग आर्टस विभाग में चल रहे अतिथि व्याख्यान की श्रृंखला के तीसरे चरण में विश्वविद्यालय कत्थक नृत्याचार्य पद्मविभूषण पं0 बिरजू महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस चरण की अतिथि व्याख्याता रही पं0 बिरजू महाराज की शिष्या व विश्वविख्यात कत्थक नृत्यांगना विदुषी पद्मश्री शोवना नारायण जी, इन्होने पं0 बिरजू महाराज जी व उनकी शिक्षण पद्धति विषय पर व्याख्यान दिया।अतिथि व्याख्यान का आरंभ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डा. जी. के. थपलियाल जी, व ललित कला संकाय के प्राचार्य प्रो. डा. पिंटू मिश्रा, विभागाध्यक्षा डा. भावना ग्रोवर व प्रवक्ता डा. प्रीति गुप्ता ने पं0 बिरजू महाराज जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर व पुष्प अर्पित करके किया फिर देश विदेश से जुड़े सभी प्रतिभागियों के साथ पांच मिनट का मौन रखा गया। तत्पश्चात शोवना जी ने अपने गुरू व आदर्श पं0 बिरजू महाराज जी की शख्सियत व उनके शिक्षण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वे गुण और अभिव्यक्ति, नियंत्रण और अनुग्रह का एक दुर्लभ सयोंजन थे। नृत्य सिखाते वक्त वे हर चीज के संतुलन व मापदंड व सुंदरता पर ज्यादा जोर देते थे। शोवना जी ने कहा कि मेरे गुरू ने कभी नाट्यशास्त्र व अभिनय दर्पण नही पढे़ थे अपितु वे अभिनय दर्पण को जी रहे थे उनका संपूर्ण जीवन कत्थक नृत्य, संगीत, अभिनय की त्रिवेणी सम था। उन्हें रेडियों पर गाने का बड़ा शौक था। म्यूजिक कम्पोज करने और कोरियोग्राफि का भी बहुत शौक था हर बात में अभिनय की सुन्दरता है ऐसा वो कहते थे। किस स्वर के साथ क्या भाव क्या अंगसंचालन होना चाहिऐ साथ ही प्रस्तुति में सौन्दर्य का समावेश करने की कला में वे अपनें शिष्यों को निपुण करते थें। शोवना जी ने गुरू के साथ कुछ संस्मरण भी समस्त प्रतिभागियों संग साझा किये।शोवना जी ने पं0 बिरजू महाराज जी द्वारा बनाई गई ठुमरी, वाही है कदम्ब जहाँ वेणु और मृदंग बाजे व काहे को मेरे घर आये हो को विभिन्न प्रकार के भावप्रदर्शन द्वारा प्रस्तुत किया। तत्पश्चात बहुत से छात्र छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर भी दिया अन्त में शोवना जी ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए व कला में निपुण होने के लिए टाइममैनेजमेंट के साथ एकाग्रता होना बहुत जरूरी है।

इस व्याख्यान के अन्त में विभागाध्यक्ष प्रो. डा. भावना ग्रोवर जी ने विदूषी शोवना नारायन जी का इतने सुन्दर व्याख्यान के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया। साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति डा. जी. के. थपलियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शल्या राज, ललित कला संकाय के प्राचार्य डा. पिन्टू मिश्रा जी का धन्यवाद ज्ञापित किया। व्याख्यान में उपस्थित समस्त प्रतिभागियों तथा विभाग कें सदस्यों डा. प्रीति गुप्ता, डा. आकांक्षा सारस्वत, निशी चौहान, श्वेता सिंह व अभिषेक मिश्रा सभी के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुऐ कार्यक्रम का समापन किया।

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