मंगलवार, 16 नवंबर 2021

पत्रकारिता के केंद्र में हो राष्ट्र, मीडिया के साथ नहीं होगी विश्वसनीयता की दिक्कत : प्रो.नीरज कर्ण सिंह

 पत्रकारिता के केंद्र में हो राष्ट्र, मीडिया के साथ नहीं होगी विश्वसनीयता की दिक्कत : प्रो.नीरज कर्ण सिंह

By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी ।। मेरठ









मेरठ। आज मीडिया के साथ विश्वसनीयता का घोर संकट है। पाठक, दर्शक मीडिया को संदेह की नजर से देखते है। कोरोना काल में अविश्वसनीयता और बढ़ी है। पाठको की नजर में मीडिया को अगर विश्वसनीयता दोबारा पानी है तो इसका एकमात्र रास्ता राष्ट्र केंद्रित पत्रकारिता है। पत्रकारिता के केंद्र में जब राष्ट्रहित होगा तो मीडिया के साथ विश्वसनीयता की दिक्कत नहीं होगी। मीडिया को निष्पक्ष होना होगा  और यह निष्पक्षता एकमात्र राष्ट्रहित की पत्रकारिता में ही समाहित हो पायेगी। उक्त बातें गणेश शंकर विद्यार्थी सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रमुख तथा कला एवं समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. डॉ नीरज कर्ण सिंह ने राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कही।इस अवसर पर विद्यार्थियों ने राष्ट्रहित में पत्रकारिता करने की संयुक्त शपथ भी लिया।

गणेश शंकर विद्यार्थी सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में मंगलवार को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ नीरज कर्ण सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज ही के दिन भारतीय प्रेस परिषद ने कार्य करना प्रारंभ किया था। प्रेस परिषद की स्थापना का उद्देश्य भारतीय पत्रकारिता की विश्वसनीयता को सुदृढ़ करना एवं स्वछंद मीडिया की संस्थापना था। इधर के कुछ वर्षों में पत्रकारिता पर विश्वसनीयता का संकट आ खड़ा हुआ है। अब पाठक पत्रकारों को पत्रकार नहीं पक्षकार समझने लगे हैं। इस स्थिति के पीछे भी मीडिया ही दोषी है। कोरोना काल में यह स्थिति और अधिक घोर होती चली गयी। अब मीडिया सूचना से ट्रायल का रूख कर चुका है। इस समस्या को समाधान न तो कोई नियम हो सकता है और न ही कानून। राष्ट्र केंद्रीत पत्रकारिता ही इस दर्द की दवा है।  

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के मीडिया प्रबंधक अनम खान शेरवानी ने सभा को संबोधित करते हुए भारतीय प्रेस परिषद् के कार्य और इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रेस परिसद् को और सशक्त बनाने की आवश्यकता है। प्रोफेसर अशोक त्यागी ने कहा कि प्रेस के संगठनों में पत्रकारों को ही रहना चाहिए तभी वह संगठन अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन कर पायेंगे। भारतीय प्रेस परिसद आज शक्तिहिन हैं। उसे मजबूत बनाने की जरूरत है। कार्यक्रम का समन्वय अध्यापिका श्रीमती प्रीति सिंह ने किया। इस अवसर पर सह आचार्य डॉ गुंजन शर्मा सहित विभाग के सभी प्राध्यापक, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित थे।

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