मंगलवार, 30 नवंबर 2021

रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन (आरएफआरएफ) युजीसी, एआईसीटीई एवं एनबीए के सहयोग से नदियों के संरक्षण के लिए चला रही देशव्यापी अभियान


रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन (आरएफआरएफ) युजीसी, एआईसीटीई एवं एनबीए के सहयोग से नदियों के संरक्षण के लिए चला रही देशव्यापी अभियान

 समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने अभियान के समर्थन में वीडियो संदेश जारी किया ।संस्थानों के लिए सामूहिक पंजीयन हेतु सुविधा ‘नदी को जानो’ प्रतियोगिता के विजेताओं को एक लाख तक का पुरस्कार देगी आरएफआर फाउंडेशन 

By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी ।। नागपुर










नागपुर। भारतीय शिक्षण मंडल प्रेरित संस्था रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए), नई दिल्ली के सहयोग से अखिल भारतीय स्तर पर ‘नदी को जानो’ प्रतियोगिता का आयोजन किया है। जिसमें प्रतिभागी संस्थाओं को एक लाख तक का पुरस्कार मिलेगा। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2021 है। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण इस लिंक https://conferencebsm.com/nkj पर करना होगा। 

रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन मानवता एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक, तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के द्वारा समाधान प्रदान करने का कार्य करता है। भारतीय शिक्षण मंडल, भारत केंद्रित भारतीय शिक्षा व्यवस्था का प्रादर्श (मॉडल) तैयार करने के उद्देश्य से कार्य करता है। किस तरह हमारे पड़ोस की नदी खत्म हो गयी, किस तरह नदी नाले में परिवर्तित हो गई, कहीं-कहीं तो उनपर कालोनियां तक बसा दी गईं। इन्हीं विषयों को देखते हुए प्रतियोगिता का आयोजन नदियों के प्रति जन जागृति लाने, उनके संरक्षण, पर्यावरण से युवा शक्ति को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया है। 

अभियान का शुभारंभ 25 जुलाई 2021 को भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के द्वारा किया गया था। तब से अब तक ‘नदी को जानो’ अभियान को अत्यंत उत्साहवर्धक प्रत्युत्तर मिल रहा है। देश के 29 राज्यों एवं 9 केंद्रशासित प्रदेशों 2203 संस्थानों के 25 हजार से अधिक छात्रगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं कर्मचारिगणों ने अभियान में भाग लिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (युजीसी) , अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए), राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य प्रमुख संस्थानों के साथ ही महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के द्वारा प्रोत्साहन मिल रहा है। इस अभियान की सफलता के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा सहित अन्य विश्वविद्यालयों ने अपने संस्थान में नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। संस्थानों के लिए सामूहिक पंजीकरण की सुविधा भी प्रदान की गई है। 

जुनापीठाधिश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज जी, राम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी महाराज जी, सतसंग संस्थान, बंगलौर, के श्री एम, सहित अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं समाज के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने इस अभियान के समर्थन व प्रोत्साहन हेतु वीडियो संदेश प्रेषित किए हैं।  

प्रतियोगिता को दो स्तरों पर बाटा गया है। एक संस्थागत दुसरा व्यक्तिगत। संस्थागत में विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अन्य स्वयंसेवी संस्थानों के विद्यार्थी, शोधार्थी, शिक्षक और कार्यकर्ता भाग ले सकते हैं। संस्थागत श्रेणी में हर संस्था से न्यूनतम 250 प्रतिभागियों की संख्या अपेक्षित है। जिसके लिए मात्र  25 रुपये की सहयोग राशि देनी होगी। संस्थागत स्तर पर प्रतियोगिता विजेताओं को क्रमशः जल संरक्षक एक लाख रुपए, जलोपासक 51 हजार रुपए और जल साथी को 31 हजार रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी। जबकि व्यक्तिगत श्रेणी में 18 वर्ष की आयु तक के प्रत्येक राज्य से जल बाल मित्र को 5 हजार रुपये, 18 से 25 वर्ष आयु तक के प्रत्येक राज्य से जल युवामित्र को 5 हजार रुपये एवं 25 वर्ष आयु से ऊपर प्रत्येक राज्य से जल मित्र को 5 हजार रुपये पुरस्कार राशि के रुप में दिए जाएंगे। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए https://conferencebsm.com/nkj की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा। प्रतिभागियों को नदी के भौगोलिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक दृष्टि से उसकी संपूर्ण जानकारी जिसमें उद्गम स्थल से लेकर विलय स्थल तक की जानकारी जीपीएस लोकेशन के साथ प्रदान करनी है।

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