गुरुवार, 2 सितंबर 2021

अलकायदा के कश्मीर अजेंडे पर कैसे लगाम कसेगा तालिबान, जमीन पर उतरेगा भारत से किया वादा?

 

अलकायदा के कश्मीर अजेंडे पर कैसे लगाम कसेगा तालिबान, जमीन पर उतरेगा भारत से किया वादा?


By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। तालिबान















तालीबान ।अफगानिस्तान में तालिबान का राज वापस आने के बाद खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा ने अब दुनिया भर में इस्लामिक जमीन को कब्जाने की बात कही है। अफगानिस्तान में 20 साल चली जंग के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई है और अब अलकायदा के इस बयान ने लोकतांत्रिक दुनिया को फिर से सकते में ला दिया है। अलकायदा ने अपने बयान के आखिरी पैराग्राफ में फलस्तीन, सीरिया, सोमालिया, यमन और कश्मीर को इस्लाम के दुश्मनों से आजाद कराने की बात कही है। एक तरफ अलकायदा ने अफगानिस्तान में शरीयत का शासन लागू करने की बात कही है तो वहीं दुनिया भर में उम्माह के लिए जिहाद छेड़ने की बात कही है।

अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन और तालिबान के मुल्ला उमर के बीच 1980 के दशक में अच्छे संबंध थे। हालांकि अब नए दौर में यह देखने वाली बात होगी कि तालिबान किस तरह से अलकायदा को डील करता है। अलकायदा के इस बयान के बाद सवाल उठता है कि आखिर तालिबान कैसे अपने उस वादे पर खरा उतरेगा, जिसके तहत उसने किसी भी देश के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन का गलत इस्तेमाल न होने देने की बात कही है। तालिबान इस्लाम की देवबंदी विचारधारा को मानता है, जबकि अलकायदा उसकी सलफी विचारधारा का हिमायती है। 

मुल्ला उमर और लादेन थे करीबी, अब नए दौर में देखने होंगे रिश्ते

इतिहास में मुल्ला उमर और ओसामा बिन लादेन के रिश्तों के चलते दोनों करीब रहे हैं, लेकिन अब वह बीती बात है। हालांकि एक तथ्य यह भी है कि आज तक तालिबान ने कभी अलकायदा की आलोचना नहीं की है। तालिबान ने भले ही यह कहकर भारत को भरोसा दिया है कि वह कश्मीर में कोई हरकत नहीं करेगा। लेकिन भारत को यह देखना चाहिए कि जमीनी तौर पर उसका दावा कितना खरा उतरता है। यदि तालिबान अपने मौजूदा शासन में वादे पर खरा उतरना चाहता है तो फिर उसके नेता मुल्ला अखुंदजादा को अलकायदा, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों से कहना होगा कि वे कश्मीर के अजेंडे को अफगानिस्तान से दूर रखें। 














मसूद अजहर भी अफगानिस्तान में चलाता था टेरर कैंप

यह आज भी याद रखने की बात है कि 1996 से 2001 के दौरान अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता थी। उस दौरान अफगान में हरकत-उल-अंसार जैसा आतंकी संगठन एक्टिव था, जिसने अफगानिस्तान में बैठकर कश्मीर में आतंकी हमलों की योजना बनाई थी। इसके अलावा जैश का सरगना मौलाना मसूद अजहर भी अफगानिस्तान में खोस्त में टेरर कैंप चलाता था। यह बात सही है कि तालिबान ने कश्मीर में खुद कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई है, लेकिन उसने पाकिस्तान में एक्टिव आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान का इस्तेमाल करने से रोका भी नहीं है। ऐसे में भारत और वैश्विक समुदाय की इस बात पर नजर है कि आखिर तालिबान 2.0 पहले के मुकाबले कितना अलग दिखता है।

पाकिस्तान की शह पर अलकायदा ने किया कश्मीर का जिक्र?

अलकायदा का कश्मीर को लेकर दिया गया बयान वैसे भी अफगानिस्तान से ज्यादा पाकिस्तान का अजेंडा है। इसके अलावा कश्मीर की बात करें तो वहां के लोग आज भी अफगानिस्तान के दुर्रानी साम्राज्य की दर्दनाक यादों से डरते हैं। अफगान शासकों के इतिहास में आतंक के शिकार हुए कश्मीरी आज भी वहां तालिबान की सत्ता को लेकर बहुत उत्साहित नहीं दिखते हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मामलों की जानकारी रखने वालों का मानना है कि यह पाकिस्तान की ही चाल हो सकती है, जिसने अलकायदा के बयान में कश्मीर का भी नाम शामिल कराया है।

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