शनिवार, 28 अगस्त 2021

तालिबान का दूसरा घर पाकिस्तान: दोनों पड़ोसियों ने 'तोहफे' में दे डाले सैकड़ों आतंकी, अब 'चुनावों' में भुनाने की तैयारी

 तालिबान का दूसरा घर पाकिस्तान: दोनों पड़ोसियों ने 'तोहफे' में दे डाले सैकड़ों आतंकी, अब 'चुनावों' में भुनाने की तैयारी

By - मेरठ ख़बर लाइव न्यूज सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। अफगनिस्तान

ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता (रिटायर्ड) कहते हैं, तालिबान खुद एक आतंकी संगठन है। दूसरे आतंकी संगठनों से उसके संबंध जग जाहिर हैं। दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय संधियों समझौतों की परवाह किए बिना ही 'तोहफे' में आतंकियों का आदान-प्रदान कर डाला। अब ये तय है कि पाकिस्तानी आईएसआई इन आतंकियों को अपने संकेतों पर चलाएगी। कश्मीर, इनका टारगेट हो सकता है...

तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला गनी बरादर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी 










अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने की खुशी पाकिस्तान छुपा नहीं पा रहा है। कभी प्रधानमंत्री इमरान खान आवेश में आकर अपनी खुशी जताने लगते हैं तो कभी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा तालिबान के समर्थन में बयान जारी कर देते हैं। तालिबान ने भी खुलकर पाकिस्तान को समर्थन दे दिया है। तालिबानी प्रवक्ता जबीबुल्लाह मुजाहिद ने 'पाकिस्तान को तालिबान का दूसरा घर' बताया है। मुजाहिद ने कहा, वे अपने घर के खिलाफ कुछ नहीं होने देंगे। दोनों पड़ोसियों ने एक-दूसरे को 'तोहफे' में सैकड़ों आतंकी दे डाले। अफगानिस्तान की जेल में बंद उन आतंकियों को रिहा कर दिया गया है, जिन्हें पाकिस्तानी आईएसआई से दिशा-निर्देश मिलते रहे हैं। इसी तरह पाकिस्तान ने भी तालिबान के सैकड़ों सदस्यों को छोड़ दिया है। सुरक्षा एजेंसियों को जो इनपुट मिल रहे हैं, उसके तहत पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन 'जैश-ए-मोहम्मद' की अगुवाई में कई दूसरे समूह अब जम्मू-कश्मीर में घुसने की नापाक योजना बना रहे हैं। ये आतंकी संगठन सर्दियों में घुसपैठ का प्रयास कर सकते हैं।

तालिबान यहां भी दुनिया को भ्रम में डालने का प्रयास कर रहा है। दुनियाभर के आतंकी समूह अफगानिस्तान में मौजूद हैं। इसके बावजूद विश्व के सामने अपनी नई छवि दिखाने के चक्कर में वह कई बार आतंकियों को लेकर बयान जारी कर देता है। जब इस्लामिक स्टेट और तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान), आईएस व हक्कानी सहित दूसरे आतंकी संगठनों के बारे में पूछा जाता है तो जवाब मिलता है, हम अपनी जमीन को किसी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे। अफगानिस्तान पर कब्जा के बाद भारत को लेकर यही बयान दिया गया था कि किसी देश के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल नहीं होगा।

ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता (रिटायर्ड) कहते हैं, ये एक भ्रम पैदा करने का प्रयास है। तालिबान खुद एक आतंकी संगठन है। दूसरे आतंकी संगठनों से उसके संबंध जग जाहिर हैं। दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय संधियों समझौतों की परवाह किए बिना ही 'तोहफे' में आतंकियों का आदान-प्रदान कर डाला। अब ये तय है कि पाकिस्तानी आईएसआई इन आतंकियों को अपने संकेतों पर चलाएगी। कश्मीर, इनका टारगेट हो सकता है। हालांकि ये उतना आसान नहीं है। जम्मू कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों में जहां भी आतंकियों ने नई भर्ती या कोई छोटी मोटी इकाई स्थापित करने का प्रयास किया, जांच एजेंसियों ने उनका भंडाफोड़ कर दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में अच्छा काम किया है।

पाकिस्तान में यह बात आम रही है कि कोई भी सरकार दोबारा से सत्ता में आना चाहती है तो वह भारत पर आरोप लगाना शुरू कर देती है। कश्मीर को लेकर झूठे बयान जारी कराए जाते हैं। घाटी में जो दशहतगर्द या आतंकवादी मारे जाते हैं, उन्हें पाकिस्तान शहीद कहता है। आतंकियों के लिए नौजवान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता है। इस बार भी वही हो रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान, दोबारा से पीएम बनना चाह रहे हैं। आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्तार मिल गया है। तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान खुश हो रहा है। उसे लगता है कि इमरान खान, जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाकर अपनी जीत सुनिश्चित कर लेंगे, ये मुमकिन नहीं है।

बतौर अनिल गुप्ता, पाकिस्तान गलतफहमी का शिकार है। उसे लगता है कि हक्कानी नेटवर्क, इंडियन मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद, एलईटी, टीआरएफ, तालिबानी लड़ाके और आईएस-खोरासान व दूसरे नए आतंकी संगठनों को कश्मीर में उतारा जाएगा। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद सुरक्षा बलों ने कश्मीर में अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है। पहली बात तो यह है कि अगर पाकिस्तान इन्हें बॉर्डर से भारतीय सीमा में धकेलने का प्रयास करता है तो इनका वहीं मारा जाना तय है।

जैश-ए-मोहम्मद के सौ से अधिक सदस्यों को अफगान जेलों से रिहा किया गया है। इसके पीछे आईएसआई का हाथ रहा है। सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के मुताबिक, यह आतंकी संगठन आईएसआई के इशारे पर अफगान लड़ाकों को अपने साथ ले रहे हैं। इनका मकसद है कि छोटे समूहों में उनकी कश्मीर में घुसपैठ कराई जाए। ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता कहते हैं, ये सब पाकिस्तान के लिए उतना आसान भी नहीं है। हालांकि वह ऐसी कोशिशें पहले भी करता आया है और आगे भी करता रहेगा। अभी जो खतरे पाकिस्तान पर आ सकते हैं, वह उनकी बात ही नहीं कर रहा है।


तालिबानी नेता शहाबुद्दीन दिलवर ने इस बात के लिए पाकिस्तान का शुक्रिया अदा किया है कि उसने 30 लाख अफगान शरणार्थियों को शरण दी है। पाकिस्तान ने भी इसे खूब भुनाया। अभी पाकिस्तान में जो आतंकी संगठन हैं, उन्हें जिहाद के बैनर तले एक साथ लाने का प्रयास हो रहा है। इसमें बहुत से ऐसे कट्टर संगठन भी हैं, जो कल खुद पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। शरिया कानून और जिहाद, ये बातें पाकिस्तान को मुसीबत में डाल सकती हैं। खैर जो भी हो, तालिबान या पाकिस्तान की भारत के खिलाफ कोई भी आतंकी मुहिम नहीं चल सकती। सेना उनका मुकाबला करने में सक्षम है।

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