बुधवार, 7 जुलाई 2021

केंद्रीय कर्मियों को झटका: डीए और अन्य भत्तों पर रोक के बाद अब 'जीपीएफ' की ब्याज दरों में नहीं हुई बढ़ोतरी

 केंद्रीय कर्मियों को झटका: डीए और अन्य भत्तों पर रोक के बाद अब 'जीपीएफ' की ब्याज दरों में नहीं हुई बढ़ोतरी

By - मेरठ खबर सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी।। नई दिल्ली

जीपीएफ में कर्मियों के मूल वेतन का कम से कम छह फीसदी हिस्सा कटता है। चूंकि इस राशि पर बैंकों के मुकाबले ब्याज अधिक मिलता है, इसलिए बहुत से कर्मचारी अपना शेयर बढ़ा देते हैं। जीपीएफ में ज्यादा वेतन इसलिए कटवाया जाता है, ताकि कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें...

नई दिल्ली । केंद्र सरकार के कर्मियों का डीए यानी महंगाई भत्ता 18 माह से बंद है, अब सामान्य भविष्य निधि यानी 'जीपीएफ' की राशि पर मिलने वाले ब्याज की दरें भी नहीं बढ़ाई गईं। जीपीएफ के दायरे में आने वाले कर्मियों को उम्मीद थी कि इस बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। पांच जुलाई को वित्त मंत्रालय में आर्थिक कार्य विभाग 'बजट डिवीजन' द्वारा जारी 'संकल्प' में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं की कुल जमा रकमों पर दी जाने वाली ब्याज दर एक जुलाई 2021 से लेकर सितंबर 2021 तक 7.1 फीसदी रहेगी। यह दर एक जुलाई 2021 से लागू होगी।












आर्थिक कार्य विभाग के 19 अप्रैल 2021 को जारी संकल्प में भी सामान्य भविष्य निधि की राशि पर ब्याज दर 7.1 फीसदी तय की गई थी। यह वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के लिए थी। देश में उस वक्त कोरोना की दूसरी लहर ने अपना कहर बरपा रखा था। चूंकि केंद्रीय कर्मियों को महंगाई भत्ता भी 18 माह से नहीं मिला है, इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि सरकार 'जीपीएफ' की राशि पर मिलने वाले ब्याज की दरों में बढ़ोतरी करेगी। ये दरें सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीस सेवाएं), अंशदायी भविष्य निधि (भारत), अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि, राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं), भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि, भारतीय आयुद्ध कारखाना कामगार भविष्य निधि, भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि, रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि और सशस्त्र सेना कार्मिक भविष्य निधि पर लागू होती हैं।

जीपीएफ में कर्मियों के मूल वेतन का कम से कम छह फीसदी हिस्सा कटता है। चूंकि इस राशि पर बैंकों के मुकाबले ब्याज अधिक मिलता है, इसलिए बहुत से कर्मचारी अपना शेयर बढ़ा देते हैं। जीपीएफ में ज्यादा वेतन इसलिए कटवाया जाता है, ताकि कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें। कर्मचारी अपने जीपीएफ में से 90 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। हालांकि इस लेकर नियम-शर्तें बदलती रहती हैं। बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाना या उसके लिए प्लाट खरीदना, फ्लैट लेना है, पुश्तैनी मकान की रिपेयर करानी है और घर का लोन चुकाना है, जैसे कामों में जीपीएफ राशि काम आ जाती है। इसी वजह से कर्मचारी अपने मूल वेतन में से ज्यादा राशि जीपीएफ खाते में जमा कराते हैं।

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