गुरुवार, 29 जुलाई 2021

बारिश के बीच जंतर-मंतर पर लगी किसान संसद, कांट्रैक्ट फार्मिंग पर बहस

 बारिश के बीच जंतर-मंतर पर लगी किसान संसद, कांट्रैक्ट फार्मिंग पर बहस

कॉरपोरेट खेती का दिया किसानों ने नाम  

कॉन्ट्रैक्ट खेती से खाद्य सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर भी किसानों ने अपने अनुभव बताए

By - मेरठ खबर सह संपादक प्रवेश कुमार रोहतगी। नई दिल्ली


नई दिल्लीबारिश के बीच जंतर मंतर पर किसान संसद के पांचवे दिन कांट्रैक्ट फार्मिंग पर बहस हुई। संसद के समानांतर चल रहे किसान संसद के दौरान 2020 में लाए गए कानून को अलोकतांत्रिक करार देते हुए इसके तमाम पहलुओं पर चर्चा की गई। सदस्यों ने इस दौरान खेती के अपने अनुभवों का साझा करते हुए इसे कॉरपोरेट खेती को बढ़ावा देने का जरिया करार दिया।


जंतर मंतर पर लगी किसान संसद










200 किसान रोजाना की तरह सिंघु बॉर्डर से बसों में जंतर मंतर पहुंचे। इसके बाद तीन सत्रों में इस कानून से जुड़े तमाम पहुलओं पर बहस हुई। किसानों की मेहनत के बाद तैयार फसलों को कैसे कंपनियां गुणवत्ता या किसी और बहाने की आड़ में अस्वीकार कर देती हैं और इस केंद्रीय कानून से कॉर्पोरेट खेती में तब्दील होने सहित पर्यावरण में गिरावट से बचने के विकल्पों पर चर्चा की गई। 

कॉन्ट्रैक्ट खेती से खाद्य सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर भी किसानों ने अपने अनुभव बताए। सदस्यों ने इस कानून को किसानों के साथ क्रूर मजाक बताते हुए इससे देश की कृषि व्यवस्था पर पड़ने वाले असर पर भी विस्तार से चर्चा की गई। बृहस्पतिवार को भी इसी विषय पर किसानों और विशेषज्ञों की बहस जारी रहेगी। किसान संसद के जरिये किसान आंदोलन की तस्वीर भी पेश की गई। प्रश्नकाल में किसानों की चिंताओं और मौजूदा संघर्ष को दर्शाया गया। 


मात्स्यकी विधेयक पर जताई चिंता 

बगैर फसल और बाग खेती करने वाले किसान और पशुपालकों की परेशानियों को भी किसान संसद में उठाया गया। पिछले आठ महीने से कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भारतीय समुद्री मात्स्यकी विधेयक 2021 के संभावित खतरे की भी आशंका जताई गई। संसद के मौजूदा सत्र में इस विधेयक को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। किसानों ने इसे मछुआरों के परामर्श के बगैर तैयार विधेयक को उनकी अपेक्षा और गैर मान्यता करार दिया। इस विधेयक से राज्य सरकार की शक्तियों का उल्लंघन और उनकी वित्तीय स्थिति को भी कमजोर वाला बताया गया। 


बारिश में भी नहीं किसान संसद की जारी रही कार्यवाही

तेज बारिश के बाद भी किसानों ने के विरोध स्थलों पर तेज बारिश हो रही है। इन %विरोध बस्तियों% में किसान खुशी-खुशी और बिना किसी शिकायत के अपनी दिनचर्या जारी रखे हुए हैं। बारिश के बावजूद जंतर-मंतर पर किसान संसद के तीनों सत्र में सदस्यों ने तय शुदा वक्त में सभी पहुलओं पर विस्तार से चर्चा की। 


बारिश में फुटपाथ पर बैठकर किसानों ने किया दोपहर का भोजन

सत्र के बाद अवकाश होने पर किसानों ने गीले फुटपाथ पर बैठकर दोपहर का भोजन किया। पिछले सप्ताह की रिपोर्ट के मुताबिक बारिश के कारण महाराष्ट्र (जो कुछ स्थानों पर बाढ़ और तो कुछ जगहों पर बारिश की कमी से जूझ रहा है), राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश आदि में बुवाई में कमी आई है। ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद किसानों के लिए सुरक्षा तंत्र न होने पर भी किसानों ने सवाल उठाए।


तीन सत्रों के अध्यक्षों ने संभाला संचालन का जिम्मा

पहले सत्र की अध्यक्षता नरेंद्र सिंह जबकि अवतार सिंह मेहमा उपाध्यक्ष रहे। बहस के दूसरे सत्र की अध्यक्षता तेजिन्दर सिंह बल ने की जबकि उपाध्यक्ष अमरजीत सिंह महला रहे। तीसरे सत्र की अध्यक्षता श्रद्धानंद सोलंकी ने की जबकि उपाध्यक्ष के तौर पर लवप्रीत सिंह ने भी सत्र के संचालन का सुचारू रूप से संचालन किया। 

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